Mahabharat Ashwathama Story In Hindi ! महाभारत काल से मृत्यु के लिए भटक रहा है अश्वत्थामा 2023
हेलो दोस्तो आज के इस लेख में हम बात करने वाले है Mahabharat Ashwathama Story In Hindi इतिहास की सबसे अनूठी वास्तविकता में से एक महाभारत आज भी सभी हिन्दुओं के लिए जरूरत का धार्मिक केंद्र है। महाभारत प्रेम, शिक्षा, न्याय, ज्योतिष और सभी शास्त्रों का विवरण मिलता है महाभारत में वर्णित सभी रोचक एवं अद्भुत घटनाएं इस सदी के लोगों को जानने के लिए मजबूर करती हैं।
आज के इस आर्टिकल्स में हम ऐसी ही एक महाभारत से जुड़ी अद्भुत घटना का वर्णन करने वाले है बताया जाता है कि आज भी अश्वत्थामा (Ashwathama) अपनी मृत्यु के लिए इस युग (काल) में भटक रहा है। और इसका प्रमाण उस जगह के आस पास रहने वाले बड़े बुजुर्ग अनुभूत करते है Mahabharat Ashwathama Story In Hindi
अब सवाल यह उठता है की अश्वत्थामा (Ashwathama) से जुडी इन बातो के पीछे छिपे कारण क्या है? और योद्धाओं एवं सैनिकों की तरह Ashwathama को भी वीरगति को प्राप्त क्यों नही हुई? Ashwathama को क्या कोई श्राप दिया गया था? इन सभी बातो को जानने से पहले हम जानेंगे अश्व्थामा कौन था। Mahabharat Ashwathama Story In Hindi
हमारे श्री कृष्ण भगवान, भीष्म, भीम, अर्जुन, द्रौनाचार्य जैसे माहारथियों के सामने अश्व्थामा के बारे में वैसे तो बहुत ही कम लोग जानते है मग़र बताया जाता है कि अश्व्थामा महाभारत के एक मूल्यवान शख्सियत था और यह इतना शक्तिशाली था अगर ये चाहता तो महाभारत का रूप बदल सकता था। Mahabharat Ashwathama Story In Hindi
कौन है अश्वत्थामा (Ashwathama)?
अब सवाल आता है अश्व्थामा कोन थे? अश्व्थामा गुरु द्रोणाचार्य और कृपाचार्य की बहन कृपी का पुत्र था। और द्रोणाचार्य अश्व्थामा से बहुत ही ज्यादा स्नेह करते थे। Ashwathama से अधिक प्यार करने के कारण ही द्रोणाचार्य को महाभारत के युद्ध के समय कौरवों का साथ देना पड़ा था। लेकिन वह यह भी जानते थे कि यह धर्म के खिलाफ है फिर भी द्रोणाचार्य पांडवों के खिलाफ होकर कौरवों का साथ देने युद्ध मे उतर गए।
गुरु द्रोणाचार्य की म्रत्यु कैसे हुई ?
पांड्वो और कोरवों के बीच चल रहे युद्ध मे पांड्व जीत की और बढ़ रहे थे लेकिन उन्हें साफ साफ दिखाई दे रहा था कि द्रोणाचार्य हमारी जीत में बड़ी बाधा बन चुके है लेकिन पांडवों के साथ-साथ श्री कृष्ण को भी पता था की द्रोणाचार्य इस युद्ध के बीच मे आने से पांडवों की विजय सम्भव नहीं है। इसके चलते सभी पांडवों ने श्री कृष्ण के साथ मिलकर द्रोणाचार्य को मारने का मंसूबा बनाया।
इस मंसूबे के तहत महाबली भीम ने युद्ध में अश्वत्थामा (Ashwathama) नामक एक हाथी का वध कर दिया और युधिष्ठिर के हाथो यह ये अफवाह फैला दी की अश्वत्थामा मारा गया। द्रोणाचार्य को लगा अश्वत्थामा व्यक्ति का वध किया गया है और यह सुनकर द्रोणाचार्य ने अपने सभ अश्त्र शस्त्र त्याग कर समाधि लेकर बैठ गए। द्रोणाचार्य द्वारा समाधि लेने से द्रौपदी के भाई ने लाभ उठाया और गुरु द्रोणाचार्य का सर धड से अलग कर दिया।
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पांडवों पर हमला कब और कैसे हुआ ?
इस घटना की खबर सुनते ही Ashwathama क्रोध में आगबबुला होकर अपने पिता की मौत का बदला लेने का प्रण लिया और युद्ध के अंतिम पलो में Ashwathama ने पांडवों के शिविर पर देर रात हमला कर दिया। इस हमले में कई बड़े योद्धाओं की मौत हो गयी और अपने पिता के हत्यारे के साथ ही द्रौपदी के सभी बेटों को भी अश्वथामा ने मौत के घाट उतार दिया।
इस घटना के बाद अश्वथामा को पता चल गया था यहाँ रहने उसके लिए अब ठीक नही है और अश्वथामा पांड्वो का शिविर छोड़ तुरंत ही भाग गया। इसकी खबर लगते ही श्री कृष्ण और अर्जुन ने द्रौपदी को अश्वत्थामा का सर उसके पैरो में ला कर रखने का वचन दिया।
श्री कृष्ण और अर्जुन ने Ashwathama को ढूढं निकाला। अश्वत्थामा ने अपने बचाव करने के लिए ब्रम्हास्त्र का प्रयोग किया गया। जिसके बाद ही श्री कृष्ण,अर्जुन और अश्व्थामा के बीच युद्ध शुरू हो गया और अर्जुन ने अश्व्थामा को अपने वश में कर लिया और द्रौपदी के सामने लाकर बिठा दिया गया। लेकिन अश्वत्थामा का यह हाल देखकर द्रौपदी का कोमल ह्रदय पिंघल गया और अश्व्थामा को अर्जुन से बन्धमुक्त करने का अनुरोध किया।
श्रीकृष्ण द्वारा दिया गया श्राप?
द्रौपदी ने अश्वत्थामा को बन्धमुक्त तो करा लिया लेकिन श्रीकृष्ण ने Ashwathama को श्राप दिया और कहा, तू पापी लोगो का पाप ढोता हुआ हजारो वर्षों तक वीरान जगहों पर भटकेगा। और तुम्हारे शरीर से हमेशा दुर्गन्ध आती रहेगी। तू अनेक रोगों से ग्रसित रहेगा और समाज तुमसे से सदैव दूरी बनाये रखेगा।
और आज भी बताया जाता है की श्रीकृष्ण के द्वारा दिया गया श्राप से ही Ashwathama आज भी अपनी मौत के लिए इधर उधर भटक रहा है। और इस बात की पुष्टि करने के लिए बुरहानपुर के लोग आज भी महसूस करते है।
बुरहानपुर गाँव के लोगो के अनुसार Ashwathama आज भी उन्हें यह वहाँ भटकते हुए दिखाई देते है और उनके मस्तिष्क से सदैव खून की धारा निकलते देखा है और वह तेल हल्दी की मांग करते दिखाई देते है और कई लोगो का तो यह भी मानना है जो भी व्यक्ति Ashwathama को देख लेता है वो अपना मानसिक संतुलन खो देता है।
और कुछ लोगो का यहाँ तक भी मानना है की अश्वत्थामा उतावली नदी में स्नान करने आते है और हर दिन मंदिर में शिवलिंग की पूजा करने के लिए आते है और मंदिर तक पहुँचने के लिए वह मन्दिर के चारो तरफ बनी खाई के किसी गुप्त रास्ते का उपयोग करता है। बताया जाता है कि उस मन्दिर के आस पास कोई परिंदा भी पर नही मार सकता। लेकिन हर दिन शिवलिंग पर ताजे फूल पाए जाते है।
महत्वपूर्ण जानकारी : बताया जाता है इस दुनिया में आठ लोगो को अमर रहने का वरदान मिला हुआ है अश्वत्थामा, व्यास जी, विभीषण, राजा बली, हनुमान जी, कृपाचर्या, परशुराम ,ऋषि मार्कण्डेय इन सभी को अमर रहने का वरदान मिला हुआ है।
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