Israel Airport Attack 2025, 4 मई 2025 को मध्य पूर्व में अस्थिरता का नया अध्याय तब जुड़ा, जब ईरान समर्थित यमनी हूथी विद्रोहियों ने इज़राइल के सबसे व्यस्त अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को निशाना बनाकर क्षेत्रीय तनाव को और गहरा कर दिया।
Ben Gurion Airport— पर मिसाइल हमला कर दिया। यह हमला ऐसे समय पर हुआ जब इज़राइल और गाज़ा के बीच संघर्ष पहले से ही चरम पर था।
Israel Airport Attack 2025
फिलिस्तीन के समर्थन में हूथियों का हमला हूथी विद्रोहियों ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि यह “पैलेस्टाइन-2” नामक हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल द्वारा किया गया, जिसे खासतौर पर फिलिस्तीनियों के समर्थन में लॉन्च किया गया।
मिसाइल ने इज़राइल की मजबूत मानी जाने वाली रक्षा प्रणाली — एरो और अमेरिकी THAAD — को चकमा देकर एयरपोर्ट को निशाना बनाया, जिससे सुरक्षा व्यवस्था की प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
जान-माल का नुकसान और उड़ानों पर असर
इस हमले में आठ लोग घायल हुए और बेन गुरियन एयरपोर्ट पर कुछ समय के लिए सभी उड़ानों को रोक दिया गया। इसके बाद, लुफ्थांसा, डेल्टा, ITA एयरवेज और एयर फ्रांस जैसी कई प्रमुख एयरलाइनों ने तेल अवीव के लिए अपनी उड़ानें अस्थायी रूप से रद्द कर दीं, जिससे अंतरराष्ट्रीय हवाई यातायात भी प्रभावित हुआ।
इज़राइल की सख्त चेतावनी
इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे “युद्ध का विस्तार” करार दिया। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, “हम अभी शुरुआत कर रहे हैं,” जिससे यह स्पष्ट होता है कि इज़राइल अब हूथी विद्रोहियों के खिलाफ एक बड़ा सैन्य अभियान शुरू कर सकता है।
अमेरिका की प्रतिक्रिया और यमन में संकट
इज़राइल के समर्थन में अमेरिका ने भी कड़ा कदम उठाया है। अमेरिकी वायु सेना ने सना और हुदैदा में हूथी ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिनमें कई लोगों की जान चली गई। इससे यमन में पहले से ही गंभीर मानवीय संकट और गहरा हो गया है।
क्षेत्रीय स्थिरता पर खतरा
बेन गुरियन एयरपोर्ट पर हुआ यह हमला सिर्फ इज़राइल के लिए नहीं, बल्कि पूरे मध्य पूर्व की स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरा बन चुका है।
जहां एक तरफ यह घटना इज़राइल की सुरक्षा तैयारियों पर सवाल उठाती है, वहीं दूसरी तरफ यह दर्शाती है कि यमन से लेकर गाज़ा तक संघर्ष की लपटें अब पूरे क्षेत्र को झुलसा सकती हैं।
Israel Airport Attack और हूथी विद्रोहियों के बीच यह टकराव अब वैश्विक स्तर पर असर डालने लगा है। आने वाले दिनों में यह संघर्ष कितना गहरा होगा, यह कहना मुश्किल है, लेकिन इतना तय है कि इससे शांति स्थापना की संभावनाएं और कठिन होती जा रही हैं।
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